साइबर अपराधियों के निशाने पर देश के अस्पताल और स्वास्थ्य संस्थान

नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना वायरस से निपटने में लगे अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों को साइबर अपराधी रैंसमवेयर के जरिए निशाना बनाने लगे हैं। वैश्विक पैटर्न पर नजर रखने के बाद इंटरपोल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को इसके बारे में जानकारी दी, जिसके बाद जांच एजेंसी ने राज्यों की पुलिस को इसके बारे में सतर्क किया है।



सीबीआइ ने इंटरनेट पर साइबर अपराधियों की बढ़ी गतिविधियों के बारे में सभी राज्यों की पुलिस के इंटरपोल संपर्क अधिकारियों को लिखा है। ये अपराधी ईमेल के जरिए रैंसमवेयर भेजकर कोरोना वायरस से जूझ रहे अस्पतालों की अहम फाइलों और दस्तावेजों को ब्लॉक कर दे रहे हैं और उसे छोड़ने के लिए पैसे की मांग कर रहे हैं।लियोन स्थित इंटरपोल की सीबीआइ स्थानीय एजेंसी हैं। इंटरपोल ने इस संबंध में बैंगनी नोटिस जारी कर अपने सभी 194 सदस्य देशों को साइबर अपराधियों की गतिविधियों से सावधान किया है। साइबर अपराधियों के काम करने के तरीकों, वस्तुओं, उपकरणों और छिपाने के तरीकों के बारे में सूचना देने या लेने के लिए इंटरपोल द्वारा बैंगनी नोटिस जारी किया जाता है।


इंटरपोल ने साइबर अपराधियों द्वारा ईमेल के जरिए भेजे जा रहे एक रैंसमवेयर को लेकर रेड फ्लैग जारी किया है। कोरोना वायरस को लेकर सरकार की तरफ से आए दिन नए-नए दिशानिर्देश जारी हो रहे हैं और ये अपराधी इसी का फायदा उठा रहे हैं। ये किसी अस्पताल या स्वास्थ्य संस्थान को सूचना या सलाह भेज रहे हैं। इनके मेल से ऐसा लगता है जैसे वो किसी सरकारी एजेंसी की तरफ से भेजा गया है। जैसे ही मेल पाने वाला उसके साथ लगे अटैचमेंट को खोलता है उसका पूरा सिस्टम हैक हो जाता है। वो अहम फाइलों और दस्तावेजों तक नहीं पहुंच पाते। पीड़ित अस्पताल या संस्थान की तरफ से जब तक अपराधी की तरफ से मांगी गई रकम का भुगतान नहीं किया जाता है, उनका सिस्टम काम नहीं करता।


अधिकारियों ने बताया कि महामारी से लड़ने वाले अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों के इन अपराधियों के शिकार बनने का सबसे ज्यादा खतरा है। इसको देखते हुए इंटरपोल ने सभी संस्थानों को अहम फाइलों और दस्तावेजों का बैकअप रखने की सलाह दी है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन संदिग्ध इंटरनेट डोमैन की पहचान करने में जुटा है।